” बेटी पढ़ाओं बेटी बचाओं “.

Short Story by – Anamika Singh(Entry No. 1)

शहर से काफी दूर तोधकपुर नामक गांव में शोभाराम अपनी पत्नी के साथ रहते थे , शोभाराम भट्टे पर काम करते थे जहाँ ईट बनती थी इसलिए वो पूरा दिन काम में व्यस्त रहते रहते शोभाराम के घर कोई सन्तान नहीं थी इस बात से दोनों बड़े उदास रहते थे |
एक दिन शोभाराम आये तभी उसकी पत्नी बोली अजी एक बात कहनी है शोभाराम ने उत्तर दिया बोलो , क्या बात है तभी नीलम बोली बोली की आप पिताजी बनने वाले है ,
ये सुनकर शोभाराम खुशी से झूम उठा और बोला की मुझे
तो बेटा चाहिए |


ये सुनकर नीलम बड़ी दुःखी हो गई और चूप हो कर चली गई ,कुछ दिनों बाद शोभाराम नीलम से बोला की मैं अपने बेटे का नाम उसके दादा के नाम पर रखूंगा और उसे उसके दादा के जैसे मास्टर बनाऊंगा |
नीलम चूप थी और फिर रसोई घर में खाना बनाने लगी
और मन ही मन ही सोच रही थी की अगर लड़की हुई तो क्या होगा बस यही चिन्ता उसे अंदर ही अंदर खाये जा रही थी |
आखिर वो दिन आ ही गया जब उसने प्यारे से बच्चें को जन्म दिया ,सब बहुत खुश थे, मगर जब अंदर से आवाज आयी की नीलम ने एक बेटी को जन्म दिया है, तो शोभाराम के चहेरे की हंसी ही गायब हो गई और चिन्ता दिखने लगी और चहेरे पर मायूसी छा गई |
नीलम ने घर में पूजा रखी और अपनी बिटिया का नाम करण करवाया , पंडित जी ने बिटिया का नाम वन्दना रखा और बोला की आपकी बिटिया बहुत ही किस्मत वाली है ये बड़ी होकर अपने माँ बाप का नाम रौशन करेगी ये सुनकर नीलम बहुत खुश हुई , मगर शोभाराम अभी भी उदास थे |


कुछ दिनों बाद जब शोभाराम काम पर जा रहे थे तभी गाँव के मुखिया ने रोका और बोला क्या बात है शोभाराम आज कल दिखाई नहीं पड़ रहे हो तुम कल गिरीश की बेटी की शादी में भी नहीं दिखे ,लगता है बहुत मेहनत कर रहे हो ,” अब करो भी तो क्या करो” बेटी जो घर आयी है शादी की जो चिन्ता होगी ,शोभाराम चूप थे और घर वापस लौट आये |
और नीलम से बोले की काश तुमने लड़के को जन्म दिया होता तो आज इतनी चिन्ता ना होती जो हो रही है उस दिन
किसी ने घर में खाना नहीं खाया |
अगले सुबह
शोभाराम पहले की तरह फिर से काम पर चले गये ,और नीलम घर में अपनी बेटी को बोल रही थी की तू बड़ी होकर खूब पढ़ना और मास्टरनी बनना ,और अपने पापा का सपना पूरा करना |
समय बीता गया और वन्दना अब पाँच साल की हो गई थी तो नीलम ने सोचा की अब मेरी बिटिया पढ़ने जायेगी और
यही सोचकर नीलम ने शोभाराम से बोला – की ओ वन्दना के पापा अब हमारी बिटिया बड़ी हो गई है उसका स्कूल में दाखिला करवा दीजिए तभी शोभाराम ने जबाब दिया अच्छा अब लड़की को भी पढ़ाऊं लड़का होता तो पढ़ाई करवाता ये पढ़ कर क्या करेगी |
तुम इसकी पढ़ाई की नहीं शादी की चिन्ता करो , ये सुन कर नीलम बड़ी उदास हुई और फिर कमरे में चली गई वन्दना ने
अपने पापा की बात सुनी तो रोने लगी और माँ से बोली की मुझे पढ़ाई करनी है माँ देखो ना वो पिंकी भी तो स्कूल जाती है तो मैं क्यों नहीं जा सकती हूँ |
वन्दना हर रोज पिंकी को स्कूल जाते देखती और सोचती की काश में भी पढ़ने जाती तभी माँ ने देखा की वन्दना बहुत उदास है तो उसने सोचा की क्यों ना वन्दना के पापा को बिन बताये स्कूल में दाखिला करा दूं यही सोच कर उसने दूसरे ही दिन वन्दना का दाखिला करा दिया और वन्दना स्कूल जाने लगी और बहुत खुश रहने लगी और मन में यही सोचती की मैं बड़ी होकर अध्यापिका बनूंगी और पापा का सपना पूरा करूंगी |
पूरे स्कूल में वन्दना टाॕप करती थी और परीक्षा में भी फस्ट आती थी इस बात से स्कूल के मास्टरजी उसको बहुत मानते थे ,और उसकी पढ़ाई पर ध्यान देते थे|


कुछ दिनों तक सब ठीक चलता रहा एक दिन शोभाराम की तबीयत खराब हो गई और वो काफी दिन तक काम पर नहीं गया ,इधर वन्दना स्कूल नहीं जा रही थी तो स्कूल के मास्टरजी ने सोचा क्यों वन्दना स्कूल नहीं आ रही है यही सोचकर मास्टरजी वन्दना के घर आ गये और शोभाराम से पूछा की आपकी बिटिया स्कूल नहीं जा रही है सब ठीक तो है ना , शोभाराम ने जब ये सुना तो आश्र्चय॔ चकीत रह गये और बोले अरे मास्टरजी मेरी बेटी पढ़ने नहीं जाती है आपको कोई गलतफहमी हो गई है , तो मास्टरजी ने हँस कर बोला मुझे कोई गलतफहमी नहीं है वन्दना आपकी बेटी है ना आपको तो उस पर गव॔ होना चाहिए की आपकी बेटी इतनी होनहार है पूरे स्कूल में टाॕप करती है | हम तो कहते है की आपकी बिटिया जैसी मेरी भी एक बेटी होती तो मैं उसे अपनी तरह मास्टर बनाता |
ये सुन कर शोभाराम की आँखों में आँसू आ गये और रोने लगे और बोले मैं अपनी बिटिया को और आगे पढ़ाऊंगा और मास्टर बनाऊंगा ये बोलते हुए शोभाराम ने वन्दना को गले से लगा लिया |
और दूसरे दिन बाजार जा कर किताबें और बिटिया के लिए
स्कूल की डेॢस ले आया और खुद स्कूल छोड़ने जाने लगे |
वन्दना बहुत खुश थी वो और मेहनत लगन से पढ़ने लगी ,
देखते देखते दिन बीतते गये वन्दना स्कूल से महाविद्यालय में भी टॉप करने लगी और फिर ,एक दिन उसना अपना सपना पूरा किया …..|
वन्दना ने स्कूल बनवाया और खुद स्कूल में पढ़ाने लगी और हर घर में जाकर ,”बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ ” का नारा देने लगी |
ये सब देख शोभाराम रोने लगे और नीलम से बोले की तुमने बेटी को जन्म नहीं दिया तुमने लक्ष्मी को जन्म दिया है , और भगवान से प्राथ॔ना करने लगे की हर जन्म में मुझे बेटी ही दे ||||

Anamika Singh…….

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Published by youngindianrevolution

An Organisation which stands for the Liberation of Human Mind from the dominant shackles put up by the society.

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