प्रस्तावना
किसी भी देश का भविष्य उस देश के बच्चों, छात्र और युवाओं पर ही निर्भर करता है,क्योंकि यह तीनों ही किसी भी राष्ट्र के मजबूत आधार स्तंभ होते हैं। जिनके कंधों पर एक विकसित महाशक्तिशाली राष्ट्र का सपना पलता है और साकार भी होता है ।
यह विद्यार्थी अपार संभावनाओं और असीमित प्रतिभाओं के बीच स्वरूप होते हैं।जो आगे चलकर भविष्य में किसी भी राष्ट्र का चाहमुखी विकास करने में अपनी सक्रिय भागीदारी निभा सकते हैं। और उस राष्ट्र को पूरे विश्व में एक अलग ही पहचान दिलाने व आत्मनिर्भर भारत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते है।
विद्यार्थी और विद्यार्थी जीवन
विद्यार्थी जीवन में समय होता है जब कोई बच्चा व युवा गजब के आत्मविश्वास उत्साह,ऊर्जा और जोश से भरा रहता है।और उनके दिमाग में प्रतिदिन नए-नए विचार जन्म लेते हैं।नई-नई योजनाएं आकार लेने लगती हैं।असंभव को संभव कर दिखाने का जज्बा इनके अंदर समाया रहता है यही वह समय होता है जब विद्यार्थियों को एक सही मार्गदर्शन,एक सच्चे अर्थों में प्रेरक या मार्गदर्शन की जरूरत होती है। जो उनके अंदर की अपार क्षमता और संभावनाओं और असीमित ऊर्जा को एक सही दिशा दे सके अगर उस समय उनका सही तरह से मार्गदर्शन किया जाए तो देश की प्रगति के मार्ग पर चलने और विश्व में एक अलग पहचान बनाने से कोई नहीं रोक सकता।
विद्यार्थी जीवन,जीवन का सबसे सर्वश्रेष्ठ समय होता है जहां पर व्यक्ति न सिर्फ अपने सुनहरे भविष्य की नींव अपने कठिन परिश्रम से रखता है।बल्कि राष्ट्र के निर्माण में अपना योगदान की जिम्मेदारी भी तय करता है इसी समय वह जीवन में आने वाले संघर्षों,उतार-चढ़ाव और जीवन की बारीकियों तथा समाज के अन्य क्षेत्रों के बारे में जानने का प्रयास शुरू करते हैं। हमारे देश के विद्यार्थियों के मजबूत कंधों पर ही आत्मनिर्भर भारत का सपना टिका है और यह उन्हीं के मजबूत इरादों से फलेगा व फूलेगा भी।
भारत में विद्यार्थी
हर देश के असली पूंजी छात्र और युवा होते हैं जो राष्ट्र को अन्य पूंजियों से भर देने का साहस रखते हैं ।और विश्व पलट पर अपने देश को आर्थिक, समाजिक,बौद्धिक,धार्मिक आध्यात्मिक रूप से एक शानदार पहचान दिलाने में मददगार होते हैं।भारत में भी विद्यार्थी वर्ग की आबादी कुल राष्ट्रीय आबादी का एक बड़ा हिस्सा है। जो भविष्य के जिम्मेदार नागरिक बनेंगे।आजादी के 70 वर्षों बाद भी भारत शिक्षा के क्षेत्र में काफी पीछे है।भारत में 14 साल तक के बच्चों के लिए “शिक्षा का अधिकार कानून” बनाया गया है।
आत्मनिर्भर भारत,राष्ट्रीय विकास में छात्रों की भूमिका
किसी भी राष्ट्र की प्रगति के लिए वहां के नागरिकों को शिक्षित होना अनिवार्य/अति आवश्यक है।जब हम अपने बच्चों को शिक्षित करते हैं तो हम राष्ट्र के निर्माण में अपनी भागीदारी निभाते हैं क्योंकि यही बच्चे आगे चलकर देश को एक सही दिशा और दशा दे सकते हैं।अगर हम अपने देश के बच्चों को अशिक्षित रखेंगे तो हमारा देश कभी भी तरक्की नहीं कर सकता है विद्यार्थी का कर्तव्य है कि वह अपनी शिक्षा का उपयोग अपने समाज अपने देश की तरक्की के सर्वांगीण विकास के लिए करें छात्रों के अंदर असीमित प्रतिभा और उर्जा होती है इसलिए वह समाज में व्याप्त अनेक बुराइयों जैसे भ्रष्टाचार,सामाजिक असमानता लिंग भेद, अन्याय,दमन शोषण, दहेज प्रथा,कन्या भूण हत्या,उग्रवाद,आतंकवाद आदि के खिलाफ एक मजबूत अभियान छेड़ कर उसे समूल जड़ से नष्ट कर सकते हैं।छात्र आंदोलन के आगे तो बड़ी बड़ी राजनीतिक शक्तियां भी झुकने को मजबूर हो जाती हैं ।अपने विचारों के और ऊर्जा से वो राष्ट्र निर्माण में आने वाली हर बाधा को दूर कर,विकास के पहिए को तेजी से घुमा सकते हैं।छात्र सरकार द्वारा चलाए जाने वाले राष्ट्रीय स्तर के अभियानों को बड़ी तेजी में सफलता पूर्वक चला सकते हैं ।लोगों के अंदर इन अभियानों के प्रति जागरूकता पैदा कर सकते हैं। कोई भी अभियान छात्रों के माध्यम से सफलतापूर्वक चलाया जा सकता है। अगर छात्रों को पहले से प्रशिक्षण दिया जाए तो, वह किसी भी राष्ट्रीय आपदा के वक्त महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।जरूरत है तो उनकी क्षमताओं का सही उपयोग करना उनका सही मार्गदर्शन करना।
उपसंहार
विद्यार्थी जीवन में ही व्यक्ति के अंदर अच्छे संस्कारों के आदर्श मूल्यों को स्थापित करना आवश्यक है।क्योंकि अपने देश के सम्मान में गौरव के लिए अपनी जान कुर्बान करने का ज्जबा इनके दिलों में जलता है और देश का सर्वागीण राष्ट्रीय विकास कर भारत को एक आत्मनिर्भर भारत बनाने का सपना इन्हीं के दिमाग से होकर गुजरता है।
Written by – Ankit Kumar